
हाल ही में वीणा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित विमलेश्वरी सिंह की नागवंशी में नाग/सर्प के बारे में जो मिथक एवं धार्मिक मान्यताएं हैं उनके बारे में प्रकाश डाला गया है। विभिन्न देवताओं के साथ सर्प का जुड़ना तथा अनेक मन्दिरों में सर्प-पूजा जो भारत के कोने-कोने में प्रचलित है। नाग नाम से जुड़े अनेक लोग भी भारत के प्राय: सभी प्रान्तों में हैं। इनका अस्तित्व महाभारत के समय से है। प्राचीन ग्रन्थों में नागलोक का भी वर्णन आता है। नागवंश एक प्राचीन वंश रहा है। इस वंश ने भारत के एक बड़े भूखण्ड पर राज्य स्थापित किया था। इस अध्याय में इनके बारे में उल्लेख हुआ है। नागों का कहां-कहां आधिपत्य रहा तथा इस वंश के विख्यात राजाओं का उल्लेख हुआ है। विभिन्न समयों में इनका अस्तित्व खोज के आधार पर दर्शाया गया है। शिलालेखों एवं अनेक महत्त्वपूर्ण लेखकों की पुस्तकों के आधार पर इनके इतिहास की छानबीन की गई है। इस अध्याय में इनके छोटानागपुर, जो महाभारत काल में कई खण्ड के नाम से प्रसिद्ध था, आने का और राज्य स्थापना का वर्णन हुआ है। नागवंशियों के छोटानागपुर में राज्य स्थापना के बारे में विभिन्न विद्वानों के मत दिए गए हैं। यह किताब आॅनलाइन बुक्स स्टोर (
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