
इलाहाबाद संग्रहालय में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी के भाषणों के संग्रह ‘समय-समय पर’ पुस्तक (
book) के विमोचन के बाद इसी विषय पर परिचर्चा भी आयोजित की गई। बतौर मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार और विधान परिषद सदस्य हृदय नारायण दीक्षित ने कहा,केशरीनाथ त्रिपाठी का चिंतन एक जीवन मार्ग को सृजित करता है। उन्होंने ऋग्वेद, गीता, महाभारत जैसे ग्रंथों के उदाहरण के माध्यम से राष्ट्र, लोक, शिक्षा, विधि-व्यवस्था आदि के संदर्भ में लेखन एवं व्यवस्थित वैचारिक चिंतन प्रस्तुत किया है। उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एमपी दुबे ने कहा, यह पुस्तक एक चिंतन दृष्टि प्रदान करती है। डॉ.संतोष जैन ने उनके व्यक्तित्व और उनसे जुड़े संस्मरणों को साझा किया। कार्यक्रम अध्यक्ष विज्ञान परिषद के प्रधानमंत्री डॉ.शिवगोपाल मिश्र ने भी अपनी बात रखी। सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए राज्यपाल पं.केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा, लेखन और उद्बोधन में व्यक्ति को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए और मैंने इसकी कोशिश की है।
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