
नई दिल्ली। बचपन में प्यार से ‘कुंजम्मा’ के नाम से बुलाई जाने वाली सुब्बुलक्ष्मी ने अपनी मां से वीणा बजाना सीखा था और वह मदुरै के मंदिरों में गाती थी लेकिन उन्हें शायद ही पता था कि एक दिन उन्हें ‘कर्नाटक संगीत की साम्राज्ञी’ के तौर पर जाना जाएगा। प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना और कोरियोग्राफर लक्ष्मी विश्वनाथन ने सुब्बुलक्ष्मी की जयंती के जश्न के तौर पर लिखी गयी अपनी किताब (
books) ‘कुंजम्मा-ओड टू अ नाइटेंगल’ में उनके गौरवशाली जीवन के कुछ रोचक क्षणों पर प्रकाश डाला है। गायिका को करीब से जानने वाली लक्ष्मी ने कहा कि शास्त्रीय रागों में महारत के साथ मंचों पर असाधारण प्रदर्शनों ने सुब्बुलक्ष्मी को एक विरल प्रतिभा बना दिया। लेखिका ने प्रसिद्ध ओपेरा गायिका मारिया कैलास से सुब्बुलक्ष्मी की तुलना करते हुए कहा, मेरा मानना है कि उनकी आवाज ऐसी थी कि जब वे गाती थीं तब स्वर्ग में परियां झूम उठती थीं। रोली बुक्स द्वारा प्रकाशित 130 पन्नों की किताब में सुब्बुलक्षमी के गायन से प्रेम करने वाली एक छोटी लड़की से लेकर संगीत में गौरव की ऊंचाइयों पर पहुंचने तक के सफर को कैद किया गया है। इसके पूर्व भी लक्ष्मी विश्वनाथन कोकिला सुब्बुलक्ष्मी पर किताब लिख चुकी हैं जिसे आॅनलाइन खरीदा (
buy books online) जा सकता है।
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